पुनर्गठन / जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली और लद्दाख चंडीगढ़ की तरह होगा, देश में कुल 9 केंद्र शासित प्रदेश हो जाएंगे

पुनर्गठन / जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली और लद्दाख चंडीगढ़ की तरह होगा, देश में कुल 9 केंद्र शासित प्रदेश हो जाएंगे








पुनर्गठन / जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली और लद्दाख चंडीगढ़ की तरह होगा, देश में कुल 9 केंद्र शासित प्रदेश हो जाएंगे


नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खत्म होते ही सरकार ने राज्य के पुनर्गठन का विधेयक भी संसद में पेश कर दिया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। दोनों केंद्र शासित प्रदेश होंगे। भारत में अभी 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं। इनमें दिल्ली और पुडुचेरी में ही विधानसभा है। बाकी 5 केंद्र शासित राज्यों में विधानसभा नहीं है। हालांकि, सभी केन्द्र शासित प्रदेशों का शासन उस राज्य में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक या उप राज्यपाल के हाथों में ही होता है। वहीं, पूर्ण राज्यों में निर्वाचित सरकार ही सर्वोच्च होती है।


अब 9 केन्द्र शासित प्रदेश : तीन में विधानसभा होगी, 6 में प्रशासक ही प्रमुख


दिल्ली और पुडुचेरी में विधानसभाएं हैं। दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री हैं, लेकिन संविधान के मुताबिक यहां के प्रमुख राष्ट्रपति ही होते हैं जो उप राज्यपाल के माध्यम से यहां शासन करते हैं। जम्मू-कश्मीर भी अब दिल्ली और पुडुचेरी की तरह ही एक राज्य होगा। यहां विधायक होंगे, मुख्यमंत्री होगा, मंत्रिमंडल होगा लेकिन शासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल का ही होगा। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ अलग संवैधानिक नियम भी हो सकते हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप में भी उप राज्यपाल ही पूरा प्रशासन संभालते हैं। हालांकि, यहां विधानसभा नहीं है। वर्तमान में अन्य चार केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त हाई कमिश्नर ही मुखिया हैं। इन चारों राज्यों में विधानसभा नहीं है। लद्दाख भी इसी तरह का बिना विधानसभा वाला केन्द्र शासित प्रदेश होगा, जहां हाई कमिश्नर का ही शासन होगा।


पूर्ण राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में अंतर?





















































 

पूर्ण राज्य



विधानसभा वाले केन्द्र शासित राज्य



बिना विधानसभा वाले केन्द्र शासित राज्य



निर्वाचन



विधानसभा चुनाव होते हैं।



विधानसभा चुनाव होते हैं।



विधानसभा चुनाव नहीं होते हैं।



संवैधानिक ढांचा



मुख्यमंत्री+राज्यपाल



मुख्यमंत्री+उप राज्यपाल



उप राज्यपाल या मुख्य आयुक्त



कानून



केन्द्र के अलावा राज्य सरकार के कानून भी लागू होते हैं। विधानसभा से पारित विधेयक पर राज्यपाल को दूसरी बार में हस्ताक्षर करने होते हैं।



केन्द्र के कानून लागू होते हैं। राज्य सरकार को कानून बनाने के लिए उप राज्यपाल की मंजूरी लेनी होती है। उप राज्यपाल विधानसभा से पास बिल को खारिज कर सकते हैं। 



केन्द्र के सभी कानून लागू होते हैं।



पुलिस



राज्य सरकार के अधीन काम करती है।



केन्द्र सरकार के अधीन काम करती है।



केन्द्र सरकार के अधीन काम करती है।



लोकल गवर्नेंस



राज्य सरकार के हाथ में होता है।



राज्य और केन्द्र के बीच बंटवारा होता है।



केन्द्र सरकार के हाथ में होता है।



ब्यूरोक्रेसी



राज्य सरकारों को नियुक्ति का अधिकार



केन्द्र सरकार को नियुक्ति का अधिकार



केन्द्र सरकार को नियुक्ति का अधिकार



हाई कोर्ट



सभी राज्यों का अपना हाईकोर्ट, पंजाब और हरियाणा का हाईकोर्ट चंडीगढ़ में



1966 से दिल्ली का अपना हाईकोर्ट, पुडुचेरी चेन्नई हाईकोर्ट के अंतर्गत आता है



पास वाले राज्यों के हाईकोर्ट के अंतर्गत आते हैं



 


क्यों बनाए जाते हैं केन्द्र शासित प्रदेश
किसी क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के पीछे उन क्षेत्रों का छोटा आकार, कम जनसंख्या, अन्य राज्यों से दूरी, अलग संस्कृति कारण होती है। कभी-कभी राजनीतिक उथल-पुथल और सुरक्षा की नजर से भी किसी क्षेत्र को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जा सकता है, जैसा कि जम्मू-कश्मीर के मामले में कहा जा सकता है। वर्तमान के 7 केन्द्र शासित प्रदेशों में अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप भारत की मुख्य भूमि से बहुत दूर हैं। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन द्वीपों पर आपातकालीन स्थिति में केन्द्र सरकार ही बेहतर कार्यवाही कर सकती है। राज्य सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते। वहीं, दादरा और नगर हवेली व दमन और दीव में पुर्तगाली और पुडुचेरी में फ्रेंच संस्कृति का असर ज्यादा है। दिल्ली देश की राजधानी है और चंडीगढ़ प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण है।